हिसुआ में हुआ साहित्यिक गोष्ठी व कवि सम्मेलन
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मगही साहित्यिक मंच शब्द साधक के तत्वावधान में आयोजित हुआ ‘पावस ऋतु का साहित्य
में महत्व’ पर परिचर्चा और कवि सम्मेलन, जुटे तीन दर्जन से अधिक कवि व साहित्यकार.
हिसुआः गागर में सागर है कविता. कविता से ही कविता जन्म लेती है. कविता जीवन की सुखद
अनुभूति है. कविता समाज को उसके रूप का आईना दिखाने का काम करती है. ये बातें
हिन्दी मगही साहित्यिक मंच के अध्यक्ष व संयोजक व्यंग्यकार उदय भारती ने रविवार को
आर्य समाज मंदिर में कही. मौका था शब्द साधक मंच के तत्वावधान में आयोजित ‘कविता
क्या है’ और ‘पावस ऋतु का साहित्य में महत्व’ पर परिचर्चा का. अध्यक्ष और संयोजक
के अलावे टीएस कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. नवल किशोर शर्मा, अर्जक संध के
सांस्कृतिक प्रदेश अध्यक्ष उपेन्द्र कुमार पथिक आदि वक्ताओं ने वर्षा ऋतु से जन
जीवन को सीधे प्रभावित होने की बात कही. चूंकि वर्षा जीवनदायिनी है, धरती का
श्रृंगार है, मस्ती और आनन्द देने वाली है. इसलिए यह साहित्य का एक प्रमुख अंग है.
जन-सरोकार का सीधा संबंध वर्षा से होने के कारण कवि व साहित्यकारों ने इसे साहित्य
में समुचित स्थान दिया है.
दूसरे सत्र के कवि सम्मेलन में दीनबंधु,
व्यंग्यकार उदय भारती, प्रो. नवल किशोर शर्मा, शफीक जानी नादां, अरूण देवरसी, अनिल
कुमार, प्रवीण कुमार पंकज, राजेश मंझवेकर रामभजन शर्मा बटोही, देवेन्द्र
विश्वकर्मा, सुन्दर देव शर्मा, कुलेश्वर मेहता आदि कवियों ने काव्यपाठ कर उपस्थित
लोगों का मन मोह लिया. नयी पीढ़ी के चार युवा कवि दयानन्द चौरसिया, राजेश
शांडिल्य, संजय प्रकाश और नरोत्तम कुमार ने नयी रचना सुनाकर अपनी प्रतिभा का लोहा
मनवाया. अतिथि कवि नरेन्द्र कुमार ने बेहतर काव्यपाठ किया. क्षणिकाएं और हाइकु
लिखने में माहिर राजेश मंझवेकर ने क्षणिका और हाइकु सुनाकर खूब वाह-वाही लूटी.
व्यंग्यकार उदय भारती की हास्य-व्यंग की दमदार रचना सबको खूब भायी. मौके पर वरीय
नागरिक संघ के सचिव रामचन्द्र प्रसाद शर्मा, देवनन्दन सिंह, नगर विकास समिति के
अंजनी कुमार वर्मा, साहित्य प्रेमी अरविन्द कुमार, नन्द किशोर प्रसाद, रोहित कुमार
पंकज, पत्रकार अशोक सिंह, आर्य समाज के सचिव यदुलाल आर्य, नारायण साहु समेत कई
दर्जन गणमान्य लोग उपस्थित थे. अध्यक्षता दीनबंधु और मंच संचालन व्यंग्यकार उदय
भारती ने किया.