मंगलवार, 25 नवंबर 2014

वारिसलीगंज में मगही साहित्य के दो कार्यक्रमों का आयोजन

१.रचनाकार के समर्थ द्रष्टा होवे के चाही: नरेन
वारिसलीगंज में अखिल भारतीय मगही मंडप के तत्वावधान में साहित परिचरचा आउ कवि सम्मेलन के भेल आयोजन
जुटलथिन कथाकार, आलोचक और कवि
प्रतिनिधि, हिसुआ
रचनाकार के समर्थ द्रष्टा होवे के चाही. ऊ जेतना गहन दृष्टि से समाज के जीवन आउ परिस्थिति के देखथिन ओतने बेस उनखर रचना होतइ. माटी में बइठ के ही रचनाकार लोकभासा के समर्थ रचना करइ में सक्षम हो सकऽ हथिन. ई बात हिन्दी मगही के वरिष्ठ कथाकार आउ आलोचक नरेन जी एतवार के वारिसलीगंज में कहलथिन. ऊहां अखिल भारतीय मगही मंडप के वारिसलीगंज शाखा के तत्वावधान में स्टेशन भिजुन के तुमड़िया बाबा भवन में मगही साहितिक गोष्ठी आउ कवि सम्मेलन के आयोजन कइल गेल हल. अतिथि के रूप में पहुंचल नरेन जी आगू कहलथिन कि उपभोक्तावादी संस्कृति आवे से हम्मर माटी के संस्कृति पर कोय असर नञ् पड़तइ काहे कि केतनो बड़का सुनामी आ जाहे पर जे घास के जड़ माटी में पेसल रहऽ ओकर कुच्छो नञ् बिगड़ हइ. ऊ रचनाकार के लेखन के स्तर सुधारे के कय गो टिप्स देलथिन. मुख्य वक्ता मगध विश्वविद्यालय बोधगया के मगही विभागाध्यक्ष डॉ. भरत सिंह  मगही भासा साहित के विकास में पत्र-पत्रिका के भूमिका आउ जोगदान पर विस्तृत चरचा कइलका. मगही के पत्रकारिता के शुरूआती दौर के जनकारी  ग्रिर्गसनएशिआटिक जरनलबिहार बंधु, मॉर्डन रिव्यू, उदंड मार्तंड जैसन पत्रिका में मगही के  आलेख आउ सामाग्री मिलइ के चरचा कइलका. ऊ मगही के विकास के लेल आर्यावर्त, जनशक्ति, आजकल, इंद्रप्रस्थ भारती सहित कय गो पत्र-पत्रिका के चरचा कइलका. मगही के वर्तमान पत्रकारिता के बाजारबाद से बचि के काम करइ के संदेश देलका. साहितकार मिथिलेश मगही के नवोदित रचनाकार के रचना लिखइ लेल उत्साहित कइलका आउ ओकरा में सहजोग देवइ के भरोसा देलका. जिला पार्षद राजीव कुमार मगही के राजनैतिक संरक्षण देवे के जरूरत के रेखांकित कइलका. अन्य कय गो वक्ता अप्पन विचार रखलका. अध्यक्षता शेखपुरा के वरिष्ठ साहितकार रामचंद्र जी कइलका जबकि संचालन  मिथिलेश जी कइलथिन.
 दोकर सत्र में कवि सम्मेलन होल जेकरा में परमेश्वरी, जयप्रकाश, यू. के. भारती, शफीक जानी नादां, डॉ. किरण कुमारी, जयनंदन, शंभू विश्वकर्मा, अशोक समदर्शी, प्रवीण कुमार पुटुस, दशरथ, नवलेश कुमार, कृष्ण कुमार भट्टा, उमेश प्रसाद सिंह उमा, नरेश कुमार रजपुरिया, डॉ. शंभू मगहिया, परमानंद, जटाशंकर पाठक सहिते नवादा, गया, शेखपुरा आउ लखीसराय के कवि उपस्थित हलथिन. मंच संचालन नागेंद्र शर्मा बंधु जी कइलथिन.
 प्रभात खबर में रोज मगही के अंगना कॉलम से मगही के रचना छपे के लेल उपस्थित सभ्भे वक्ता प्रभात खबर के साधुवाद देलथिन. एकरा से मगही के नया दशा-दिशा आउ जन-जन तक पहुंचय के उत्तम पहल बतइलथिन.
                    (प्रभात खबर के मगही के अंगना कॉलम में आयोजन के रूप में छपी खबर, दिनांक - 24.11.14, पेज नवादा - 06, गया संस्करण)

    २.सभी भाषा की जननी है मगहीः यू पन्यालिंकारा
मगही पत्रिका के रजत जयंती अंक का लोकार्पण
मगध के विरासत ही देश और दुनिया का इतिहास
 प्रतिनिधि, काशीचक
बौद्धिस्ट चाइनिज टेम्पल नवनालंदा महाविहार के मैनजमेंट सचिव भंते यू पन्यालिंकारा ने कहा कि सभी भाषाओं की जननी मगही है। भगवान बुद्ध भी पहली दफा मगही बोले थे। मगही प्राचीन भाषा है। मगही से ही कई भाषाओं की उत्पति हुई है। यू पन्यालिंकारा रविवार को नवादा जिले के काशीचक प्रखंड के परवती पहाड़ी पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मगही भी विरासत है, जिसे बचाने की जरूरत है। विरासत की अनदेखी से लोग इतिहास की जानकारी से वंचित हो जा रहे हैं। लोगों को इसके लिए आगे आने की जरूरत है।
विषिष्ट अतिथि के रूप में मगध विष्वविधालय बोधगया के संयुक्त परीक्षा नियंत्रक डॉ. भारत भूषण ने कहा कि लोग अपनी संस्कृति और विरासत को भूल रहे हैं। धरोहर, संस्कृति और भाषा के संरक्षण के लिए संकल्प लेने की जरूरत है। विदेसी यात्री और विद्वान भारत के विरासत का जितना अध्ययन और आकलन किया है, उतना अब तक भारतीय नही कर पा रहे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर ने किया। उन्होंने कहा कि लोकभाषा, लोकसंस्कृति और पुरावशेष की जानकारी के बगैर शिक्षा और संस्कार अधूरी है। मगही भाषा प्राचीन भाषा है। ममता, प्यार और समन्वय का भाव मगही में है। मगध का सांस्कृतिक इतिहास गौरवमयी है। जहां कलम मौन हो जाती है वहां पुरावषेष से इतिहास खुलता है।
विरासत बचाओ अभियान के संयोजक डॉ. अशोक कुमार प्रियदर्षी ने कहा कि मगध के धरोहर ही देश और दुनिया का इतिहास है, लेकिन अनदेखी के कारण इतिहास धूल धूसरित है। इसके लिए आगे आने की जरूरत है।

कार्यक्रम का आयोजन विरासत बचाओ अभियान के तहत परवती पहाड़ी पर मगध के धरोहर बचाओ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर नई दिल्ली से प्रकाषित मगही पत्रिका का रजत जयंती अंक का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर मगही पत्रिका के संपादक धनंजय श्रोत्रिय ने कार्यक्रम का संचालन किया। श्रोत्रिय ने कहा कि मगही पत्रिका का उदेश्य मगही का जन जनतक विस्तार किया जाना है।
कार्यक्रम को प्रो. शिवेंद्र नारायण सिंह, समन्वयक मिथिलेष कुमार सिन्हा, सह समन्वयक राजेश मंझवेकर, स्वागताध्यक्ष नरेंद्र प्रसाद, युगल किशोर प्रसाद, डॉ. किरण शर्मा, डॉ. प्रकाश, अरविंद कुमार आदि ने संबोधित किया।
           
                  अब तऽ इस्कूल दालान हो रहल
  परवती पहाड़ी पर आयोजित कार्यक्रम में गरगदह कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। नालंदा के कवि जयराम देवसपुरी ने कवि के जरिए स्कूली शिक्षा पर प्रहार करते हुए कहा कि खिचडी खा-खा के बुतरुआ पहलमान हो रहल, अब त इस्कूल महतो जी के दलान हो गेल। सास पुतोह के रिश्ते पर प्रहार करते हुए कहा कि सभे मिल पुतहुअन खिलाडी अब की करय ससुइया बेचारी। 
 मगध नटराज नरेन्द्र प्रसाद सिंह ने बिहारी की गौरव को अपने कविता की पंक्तियों से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बिहरिया कह के ना हमरा काहे कोय लजइतय बिहरिया कह के ना....। सम्मेलन को आगे बढ़ाते हुए लखीसराय के दयाशंकर बेधड़क ने मगही विलाप पेश करते हुए कहा कि कब तक रहबय अज्ञातवास धृतराष्ट्र अभी तक बचले हय, इ करतय समूल नाश कुलघातक अभी तक बचले हय...। दहेज प्रथा पर प्रहार करते हुए कहा कि
नयका नोट हजरिया बाबू गिनाय लेलकय हो कउवा अइसन काली दुल्हिन लाय देलकय हो...आगे यह भी कहा कि पढल लिखल बेटा जब भटक जा हय तब करेजवा फट जा हे...।
            इस सम्मेलन में जहानाबाद के चितरंजन चैनपुरा, डॉ. रविशंकर शर्मा, पटना के राजकिशोर शाही, धनंजय श्रोत्रिय, बुधौल की वीणा कुमारी मिश्रा, समस्तीपुर के प्रो. प्रवीण कुमार झा प्रेम, बरवीघा से अरूण साथी, गोपाल निर्दोष, सावन कुमार, डॉ. भागवत प्रसाद, रामनरेष सिंह, डॉ. संजय कुमार, कृष्ण कुमार भटटा, अमरनाथ सिंह, सचितानंद सितारेहिंद, दशरथ, मिथिलेष सिन्हा, राजेश मंझवेकर, डॉ. भागवत प्रसाद, रामस्वरूप सिंह समेत नालंदा, शेखपुरा, लखीसराय, पटना आदि के कवियों ने काव्य पाठ किया।

(प्रभात खबर, गया संस्करण, पेज नवादा - 06, दिनांक - 24.11.14)

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